Godhan Nyay Yojana-गोधन न्याय योजना: इस योजना का उद्देश्य पशुपालकों की आय में वृद्धि, पशुधन की खुली चराई पर रोक लगाकर खरीफ और रबी फसलों की सुरक्षा द्वि-फसली क्षेत्र का विस्तार, जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा देकर रसायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी लाना है। इसके माध्यम से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना, भूमि की उर्वरता में सुधार, विष रहित खाद्य पदार्थों की उपलब्धता और सुपोषण को बढ़ावा देना भी है।
गोवर खरीदी एवं भुगतान:
छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना आज सबसे लोकप्रिय योजना का रूप ले चुकी है। इससे ग्रामीण और शहरी इलाकों में गौपालकों को आमदनी का अतिरिक्त जरिया मिला है। योजना के तहत 2 रूपए किलो में अब तक 130.54 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी और गोबर विक्रेताओं को 261 करोड़ 08 लाख रुपए का भुगतान 15 अगस्त 2023 तक की स्थिति में किया जा चुका है।
कम्पोस्ट क्रांति:
गोधन न्याय योजना के अंतर्गत क्रय किए गए गोबर से वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन और उपयोग की राज्य में एक नई क्रांति शुरू हुई है, जिससे देश में आसन्न रासायनिक खाद संकट को हल करने में मदद मिलेगी। गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को अब तक 272.23 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है।
गौठानों में कम्पोस्ट उत्पादन:
गोधन न्याय योजना के तहत क्रय किए गए गोबर से महिला समूहों द्वारा 32 लाख 7 हजार 969 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट, 5 लाख 40 हजार 797 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट खाद एवं 18 हजार 924 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट प्लस खाद का निर्माण किया जा चुका है। इसे सोसायटियों के माध्यम से शासन के विभिन्न विभागों एवं किसानों को रियायती दर पर प्रदाय किया जा रहा है।
गोवर से प्राकृतिक पेंट:
राज्य में गौठानों से 18.164 महिला स्व-सहायता समूह से 2,13,372 महिलाएं जुड़ी हैं। महिला समूहों में स्वावलंबन के प्रति एक नया आत्मविश्वास जागा है। गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत उत्पादन, प्राकृतिक पेंट, डिस्टेंपर, पुट्टी का निर्माण किया जा रहा है। गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए कुमारप्पा नेशनल पेपर इंस्टिट्यूट जयपुर, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय भारत सरकार के खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड एवं छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग के मध्य एमओयू हुआ है। राज्य के गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट उत्पादन की 52 इकाइयां स्थापित की गई है। वर्तमान में 50 यूनिट कार्यरत हैं। गोबर से पेंट, डिस्टेंपर तथा पुट्टी के उत्पादन एवं विक्रय से 5.62 करोड़ की आय हुई है।
स्वीकृत गौठान | निर्मित गौठान | स्वावलंबी गौठान |
---|---|---|
10,327 | 10,287 | 6,167 |
गौठानों में प्राकृतिक पेंट, डिस्टेंपर एवं पुट्टी का उत्पादन
सामग्री | कुल उत्पादन | कुल विकाय |
---|---|---|
पेंट | 2,44,073 लीटर | 1,91,132 लीटर |
डिस्टेंपर | 1,12,212 लीटर | 83,162 लीटर |
पुट्टी | 9,064 कि.ग्रा. | 2,840 कि.ग्रा. |
कुल आय | 5.61 करोड़ |
गौठानों में कम्पोस्ट निर्माण
वर्मी कम्पोस्ट | सुपर कम्पोस्ट | सुपर कम्पोस्ट प्लस |
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32,07,696 क्विन्टल | 5,40,979 क्विन्टल | 18,924 क्विन्टल |
उपलब्धि
- गोधन न्याय योजना से 3 लाख 66 हजार 318 ग्रामीण किसान हो रहे है लाभान्वित ।
- गोबर बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित करने वालों में 45.19 प्रतिशत महिलाएं।
- पशुपालक ग्रामीणों से 20 अगस्त 2023 तक 261.08 करोड़ रूपए का गोबर क्रय।
- 37.67 लाख क्विंटल से अधिक कम्पोस्ट का उत्पादन राज्य में जैविक खेती को मिला प्रोत्साहन ।
- वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन एवं अन्य गतिविधियों से महिला समूहों को 272.23 करोड़ रूपये की आय गांवों में आय और रोजगार के नये अवसर सृजित।
- 6167 स्वावलंबी गौठानों ने 15 अगस्त 2023 तक 73.09 करोड़ रुपये का गोबर स्वयं की राशि से क्रय किया है।
गौमूत्र खरीदी
गौठानों में 4 रुपये प्रति लीटर की दर से गौमूत्र की खरीदी की जा रही है। इससे गौठानों में कीट नियंत्रक ब्रह्मस्त्र और फसल वृद्धिवर्धक जीवामृत का निर्माण हो रहा है।
गौमूत्र से तैयार उत्पाद
गौमूत्र क्रय | किट नियंत्रक ब्रम्हास्त्र उत्पादन | जीवामृत उत्पादन |
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2,31,993 लीटर | 99,335 लीटर | 35,385 लीटर |
Note:- ₹ 2 किलो में गोबर और ₹4 लीटर में गौमूत्र खरीदी
कुल गोबर खरीदी मात्रा एवं भुगतान | गौठान समितियों एवं समूहों को भुगतान | हितग्राहियों को अब तक भुगतान |
130.54 लाख क्विन्टल क्रय एवं 261.08 करोड़ का भुगतान | 272.23 करोड़ | 551.33 करोड़ |
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